केंद्र सरकार के नए फैसले से ईपीएफओ सदस्यों को `अधिक रिटर्न`
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) द्वारा सदस्यों की अधिक आय के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के लिए रिडेम्पशन पॉलिसी को मंजूरी दे दी गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीटी ने ईटीएफ से प्राप्त 50 प्रतिशत राशि को केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) और भारत 22 सूचकांक में पुनः निवेश करने को मंजूरी दे दी है।
नई नीति के अनुसार फंड को कम से कम पांच साल तक रखना अनिवार्य है।
रिपोर्ट्स में आगे कहा गया कि शेष राशि को अन्य वित्तीय साधनों, जैसे सरकारी प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट बांडों में निवेश किया जाएगा।
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया कि सीबीटी ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम द्वारा प्रायोजित इन्फ्रस्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट्स)/रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी) द्वारा जारी इकाइयों में निवेश के लिए दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है।
बोर्ड ने ईपीएफ योजना, 1952 में एक महत्वपूर्ण संशोधन को भी मंजूरी दी। मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, हर महीने की 24 तारीख तक निपटाए गए दावों के लिए ब्याज का भुगतान केवल पिछले महीने के अंत तक ही किया जाता है। अब, निपटान की तारीख तक सदस्य को ब्याज का भुगतान किया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार, इससे सदस्यों को वित्तीय लाभ होगा और शिकायतें कम होंगी।
सरकार के इन फैसलों से देशभर में मौजूद 7 करोड़ ईपीएफओ सदस्यों को फायदा होगा।
सीबीटी ने बताया कि ईपीएफओ ने चालू वित्त वर्ष में 1.57 लाख करोड़ रुपये से अधिक के 3.83 करोड़ दावों का निपटान कर अपने काम की गति तेज कर दी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, ईपीएफओ ने 1.82 लाख करोड़ रुपये की राशि के 4.45 करोड़ दावों का निपटान किया था।
ईपीएफओ द्वारा ऑटो क्लेम सेटलमेंट सर्विस (स्व दावा निपटान सुविधा) की सीमा भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है, जिसे आवास, विवाह और शिक्षा के लिए अग्रिम राशि तक भी बढ़ा दिया गया है। इस वित्तीय वर्ष में 1.15 करोड़ दावों का निपटारा ऑटो मोड में किया गया है।