विदेशों में बसे भारतीय देश में जमकर भेज रहे डॉलर, रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा रेमिटेंस
नॉन-रेजिडेंट इंडियन (एनआरआई) जमा खातों में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से अक्टूबर अवधि में 11.9 अरब डॉलर का इनफ्लो आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 6.1 अरब डॉलर से करीब दोगुना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर के अंत तक भारत में एनआरआई खातों में जमा रकम बढ़कर 162.7 अरब डॉलर हो गई है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 143.5 अरब डॉलर थी।
एनआरआई डिपॉजिट योजनाओं में फॉरेन करेंसी नॉन-रेजिडेंट (एफसीएनआर) डिपॉजिट, नॉन-रेजिडेंट एक्सटर्नल (एनआरई) डिपॉजिट और नॉन-रेजिडेंट ऑर्डिनरी (एनआरओ) डिपॉजिट शामिल हैं।
आंकड़े के मुताबिक, एफसीएनआर (बी) डिपॉजिट में सबसे अधिक 6.1 अरब डॉलर का इनफ्लो आया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में जमा की गई 2.1 अरब डॉलर की राशि से लगभग तीन गुना है। इन खातों में कुल राशि 31.87 अरब डॉलर थी।
इन खातों को विदेशों में काम करने वाले भारतीय पसंद करते हैं क्योंकि वे इनमें एक से पांच साल तक का फिक्स्ड डिपॉजिट रख सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक ब्याज मिलता है। साथ ही ये खाते विदेशी मुद्रा में होते हैं, इसलिए ये जमा रुपये में उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रहती हैं।
आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में एफसीएनआर (बी) खातों पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा बढ़ा दी थी, जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए अधिक इनफ्लो को आकर्षित किया जा सके।
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद को दर्शाती है और आरबीआई को विदेश मुद्राओं के मुकाबले रुपये को स्थिर रखने में मदद करती है।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि के दौरान एनआरई जमा में 3.09 अरब डॉलर का इनफ्लो देखा गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1.95 अरब डॉलर से अधिक था। एनआरई जमा एनआरआई रेमिटेंस के लिए एक उच्च ब्याज अर्जित करने वाला रुपया जमा विकल्प है।
अप्रैल-अक्टूबर के दौरान एनआरओ जमा राशि पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 2.66 अरब डॉलर हो गई।