केंद्र विकास दर को बढ़ाने के लिए 2024-25 की दूसरी छमाही में 25 प्रतिशत बढ़ाएगा पूंजीगत व्यय
केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही (अक्टूबर से मार्च) में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले पूंजीगत व्यय 25 प्रतिशत बढ़ा सकती है। यह जानकारी निवेश फर्म जेफरीज की रिपोर्ट में दी गई।
रिपोर्ट में कहा गया कि राज्यों में लोक लुभावन योजनाओं में वृद्धि हुई है। ऐसे में केंद्र सरकार इस स्थिति को बैलेंस करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर निवेश बढ़ाएगी, जिससे वृद्धि दर को सहारा मिले और अधिक नौकरियां पैदा हो।
रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई कि केंद्र सरकार का कुल व्यय, जिसमें सामाजिक कल्याण योजनाओं पर आवंटन शामिल है, 2024-25 की दूसरी छमाही में सालाना आधार लगभग 15 प्रतिशत बढ़ेगा। इससे पता चलता है कि सरकार आर्थिक विकास दर को बढ़ाने और पूंजीगत व्यय में 25 प्रतिशत की उच्च वृद्धि के माध्यम से अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर अपना जोर दे रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य चुनावों में हैंडआउट योजनाओं (सरकार द्वारा सीधे जरूरतमंदों को पैसा ट्रांसफर) की बढ़ती सफलता, जैसे कि महाराष्ट्र का वेलफेयर प्रोग्राम, जिसकी लागत सालाना 46,000 करोड़ रुपये (राज्य की जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) है, लोक लुभावन योजनाओं की संभावित लहर के बारे में चिंता पैदा करती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 भारतीय राज्यों में से 14 में पहले से ही इसी तरह की योजनाएं हैं, जो लगभग 12 करोड़ परिवारों को कवर करती हैं और इसकी लागत भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7-0.8 प्रतिशत है। हालांकि, भारत सरकार का ध्यान बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स बनाकर लंबी अवधि में आर्थिक सपंत्तियां बनाने पर है, जिससे विकास दर को सहारा मिले।
इसके साथ रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि हाल की गिरावट के बाद भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता आ सकती है।