भारतीय सीमेंट इंडस्ट्री वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में मजबूत सुधार के लिए तैयार
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमओएफएसएल) की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सीमेंट इंडस्ट्री को वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में मजबूत सुधार देखने को मिलेगा, जो कि मांग, सरकारी पूंजीगत व्यय में उछाल और रियल एस्टेट तथा आवास क्षेत्रों में निरंतर गति की वजह से देखा जाएगा।
अक्टूबर-नवंबर 2024 के दौरान इंडस्ट्री की मात्रा में सालाना आधार पर 3-5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जबकि, बेमौसम बारिश, पिछले वर्ष से उच्च आधार और त्योहारी सीजन के ओवरलैप के कारण अक्टूबर चुनौतीपूर्ण रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में 20-22 प्रतिशत की शानदार वृद्धि देखी गई।
एमओएफएसएल की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही के लिए, मात्रा में वृद्धि का अनुमान 8-9 प्रतिशत है, जबकि वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत अप्रैल-जून की अवधि के दौरान मजबूत रहने की उम्मीद है, जो आमतौर पर खपत का चरम समय होता है।
इस सेक्टर में शीर्ष पसंद में अंबुजा सीमेंट्स (एसीईएम) और अन्य शामिल हैं। नवंबर में सीमेंट की कीमतें मासिक आधार पर (एमओएम) काफी हद तक स्थिर रही।
ऐतिहासिक रूप से, वित्त वर्ष 23-24 के दौरान पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही की प्राप्तियों में 1-6 प्रतिशत की कमी आई है।
लागत के मामले में, नवंबर में आयातित पेटकोक की कीमतों में 3-5 प्रतिशत (मासिक आधार पर) की वृद्धि हुई, जबकि आयातित कोयले की कीमतें (दक्षिण अफ्रीकी) स्थिर रहीं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि आयातित पेटकोक की खपत लागत 1.20 रुपये प्रति किलो कैलोरी रही, जबकि दक्षिण अफ्रीकी कोयले की 1.65 रुपये प्रति किलो कैलोरी रही।
ईंधन की कम कीमतों से वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही की तुलना में वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में सीमेंट स्प्रेड में 25-30 रुपये प्रति टन की वृद्धि होने की उम्मीद है।
इस अवधि के दौरान प्रति टन एबिटा (ईबीआईटीडीए) में 23 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "भारतीय सीमेंट क्षेत्र मजबूत मांग बुनियादी ढांचे और बेहतर लागत संरचनाओं के साथ संरचनात्मक रूप से लचीला बना रहेगा।"