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2025-05-15 05:33:10 pm | Source: आईएएनएस
भारत आईवियर सेक्टर के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात केंद्र बन सकता है: पीयूष गोयल
भारत आईवियर सेक्टर के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात केंद्र बन सकता है: पीयूष गोयल

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने लेंसकार्ट के सह-संस्थापक और सीईओ पीयूष बंसल से मुलाकात की। इस मुलाकात में इस बात पर चर्चा की गई कि भारत आईवियर सेक्टर के लिए कैसे निर्यात का केंद्र बन सकता है।


 

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि उन्हें कंपनी की प्रभावशाली सामाजिक पहलों के बारे में जानकर खुशी हुई।

केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा, "लेंसकार्ट के सह-संस्थापक और सीईओ पीयूष बंसल से मुलाकात की और चर्चा की कि भारत आईवियर के लिए वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केंद्र कैसे बन सकता है।"

उन्होंने कहा, "देश भर में विजन केयर तक पहुंच का विस्तार करने के लिए कंपनी की प्रभावशाली सामाजिक पहलों के बारे में जानकर मुझे खुशी हुई।"

इस साल मार्च में, आईवियर मेकर ने हैदराबाद के पास अपनी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की आधारशिला रखी। यह वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा आईवियर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में से एक होगा।

कंपनी के अनुसार, यह प्लांट आईवियर और संबंधित उत्पादों के उत्पादन के लिए कटिंग-एज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा, जिससे आईवियर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में क्वालिटी और इनोवेशन के नए मानक स्थापित होंगे।

इस बीच, वाणिज्य मंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में भारत मंडपम में आयोजित एक बैठक में इन्वेस्ट इंडिया की व्यापक समीक्षा की।

केंद्रीय मंत्री ने भारत में अधिक से अधिक निवेश की सुविधा के लिए इन्वेस्ट इंडिया के प्रदर्शन, प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाने पर जोर दिया।

उन्होंने निवेशक जुड़ाव को और मजबूत करने, एमएसएमई को सशक्त बनाने और देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी चर्चा की।

इन्वेस्ट इंडिया भारत सरकार की नेशनल इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एंड फैसिलिटी एजेंसी है। यह एजेंसी मैन्युफैक्चरिंग एंटरप्राइज की स्थापना के लिए अप्रूवल में तेजी लाने में मदद करती है।

भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 17 प्रतिशत का योगदान देता है और 27.3 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार देता है।

सरकार का लक्ष्य मेक इन इंडिया नीति और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं जैसी पहलों के जरिए 2025 तक अपनी हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
 

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