वेदांता ने लीडरशिप रोल्स में महिलाओं की भूमिका के साथ धातु एवं खनन उद्योग में विश्वस्तरीय मानकों को भी पीछे छोड़ा

धातु एवं खनन उद्योग को दुनिया भर में पुरुष प्रधान सेक्टर माना जाता रहा है, किंतु वेदांता ने इन नियमों को बदल डाला है- वेदांता न सिर्फ अपने संचालन में बल्कि भारत के ओद्यौगिक परिवेश में भी बड़े बदलाव लाई है। लीडरशिप रोल्स में 28 फीसदी तथा कुल कार्यबल में 21 फीसदी महिलाओं के साथ वेदांता ने धातु एवं खनन उद्योग के विश्वस्तरीय मानकों को भी पीछे छोड़ दिया है। क्योंकि वर्ल्ड बैंक के मुताबिक विश्वस्तर पर इस उद्योग में लीडरशिप रोल्स में महिलाओं की भागीदारी औसतन 8 फीसदी है। यह उपलब्धि आंकड़ों के दायरे से कहीं बढ़कर है जो मजबूत और बुलंद इरादों के साथ सांस्कृतिक बदलाव को दर्शाती है।
मधु श्रीवास्तव, चीफ़ ह्युमन रिसोर्स ऑफिसर, वेदांता लिमिटेड ने कहा, ‘‘शुरूआत से ही हमें समावेशी भविष्य पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। हम न सिर्फ महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल करते हैं बल्कि उन्हें बदलावकर्ता के रूप में प्रोत्साहित भी करते हैं। वेदांता में हम इस बात को समझते हैं कि समाज की उम्मीदें महिलाओं के विकास में अदृश्य बाधाएं उत्पन्न करती हैं। यही कारण हैं कि हम उनकी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी पॉलिसियां बनाते हैं, ताकि उनके पेशेवर विकास में रूकावट न आए, खासतौर पर कामकाजी माताओं के लिए जीवन के विभिन्न अवस्थाओं में यह बेहद ज़रूरी होता है।’
महिलाओं को अक्सर ओद्यौगिक भूमिका निभाते हुए कई अदृश्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इन्हें पहचान कर दूर करने के सक्रिय प्रयासों के चलते ही वेदांता यह बदलाव लाने में सफल हुई है। ‘‘शुरूआत से ही हमें समावेशी भविष्य पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।’ मधु श्रीवास्तव, चीफ़ ह्युमन रिसोर्स ऑफिसर, वेदांता लिमिटेड ने कहा। ‘हम न सिर्फ महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल करते हैं बल्कि उन्हें बदलावकर्ता के रूप में प्रोत्साहित भी करते हैं।’ इन्हीं मूल्यां के साथ वेदांता ऐसी पॉलिसियां लेकर आई है जो महिलाओं, खासतौर पर कामकाजी माताओं को जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में सहयोग प्रदान करती है और सुनिश्चित करती हैं कि उनके करियर में कोई रूकावट न आए बल्कि उन्हें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिले।
ये मूल्य वेदांता के संचालन की विभिन्न पहलों में परिलक्षित होते हैं। उड़ीसा मस्थित कंपनी के झरसागुड़ा एलुमिनियम प्लांट (दुनिया का सबसे बड़ा) में सम्पूर्ण पॉटलाईन-स्मेल्टिंग प्रक्रिया के मुख्य सेगमेन्ट- का संचालन एवं रखरखाव केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह महिलाओं को प्रोडक्शन एवं इनोवेशन के केन्द्र में रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इसी तरह वेदांता ग्रुप की कंपनी हिंदुस्तान ज़िंक भारत की पहली खनन कंपनी थी, जिसने 2019 में सरकार द्वारा ऐसे संचालन पर प्रतिबंध हटाए जाने के फैसले के बाद भूमिगत खानों में महिला इंजीनियरों को तैनात किया। ये उपलब्धियां न सिर्फ प्रगतिशील एचआर हस्तक्षेप हैं; बल्कि भारी उद्योगों में महिलाओं के प्रति नज़रिए और उनके मूल्यांकन को भी नया आयाम दे रही हैं।
संभवतया वेदांता ने राजपुरा दरीबा कॉम्पलेक्स में भारत की पहली संपूर्ण-महिला भूमिगत खान बचाव टीम की स्थापना के साथ खान सुरक्षा में राष्ट्रीय मिसाल क़ायम की, ऐसी दूसरी टीम अब रामुपरा अगुचा में कार्यरत है। ये उच्च प्रशिक्षित महिलाएं सीपीआर, अग्नि सुरक्षा एवं एससीबीए संचालन जैसे क्षेत्रों में निपुण हैं- इन भूमिकाओं के लिए मानसिक एवं शारीरिक क्षमता की आवश्यकता होती है।
वेदांता की यात्रा साबित करती है कि जब बिज़नेस मॉडल में समावेशन को शामिल किया जाता है तब न सिर्फ बोर्डरूम एवं प्लांट्स में बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं। वेदांता न सिर्फ उद्योग जगत में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में अग्रणी है बल्कि भारत के कार्यबल के लिए नए भविष्य को आकार दे रही है- जहां लीडरशिप में लिंग भेदभाव नहीं होगा और महत्वाकांक्षा को एक समान अवसर मिलेंगे।
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