भारत में फूड कलेक्शन टेक-अवे सेगमेंट में 2023-28 के दौरान 7.7 प्रतिशत की वृद्धि होगी दर्ज
क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री में तेजी के बीच, भारत में फूड कलेक्शन टेक-अवे सेगमेंट में 2023-28 के दौरान 7.7 प्रतिशत से अधिक की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज किए जाने का अनुमान है। शुक्रवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
प्रमुख डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबल डाटा के अनुसार, भारत में क्विक कॉमर्स तेजी से आगे बढ़ रहा है साथ ही शहरी आबादी दैनिक आवश्यकताओं के लिए तेजी से डिलीवरी सेवाओं की मांग कर रही है।
जैसे-जैसे उपभोक्ता इंस्टेंट एक्सेस और समय बचाने वाली सेवाओं पर भरोसा कर रहे हैं, क्विक कॉमर्स विकल्पों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे देश में उनका तेजी से विस्तार हो रहा है।
ग्लोबल डाटा की उपभोक्ता विश्लेषक श्रावणी माली ने कहा, "कोविड-19 महामारी ने क्विक कॉमर्स में बदलाव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि उपभोक्ताओं ने सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक खरीदारी के तरीकों को प्राथमिकता दी है।
क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म तेजी से डिलीवरी सेवाएं प्रदान कर इस जरूरत को पूरा कर रहे हैं, जिससे उपभोक्ता किराने का सामान, घरेलू सामान और खाने के लिए तैयार भोजन आसानी से ऑर्डर कर सकते हैं।"
उदाहरण के लिए, जोमैटो के स्वामित्व वाले क्विक-कॉमर्स सर्विस प्रोवाइडर ब्लिंकिट ने 10 मिनट में फूड डिलीवर करने के लिए बिस्ट्रो ऐप लॉन्च किया, ताकि पहले से मौजूद क्विक फूड डिलीवरी ऐप जैसे कि स्विगी के बोल्ट और जेप्टो कैफे के साथ प्रतिस्पर्धा की जा सके और क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री में अवसर हासिल किया जा सके।
माली ने कहा, "हाल के वर्षों में क्विक कॉमर्स की लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि ने बाजार में मेजर प्लेयर्स के लिए आकर्षक अवसर पैदा किए हैं। 2024 की तीसरी तिमाही में, भारतीय फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो ने सकल ऑर्डर मूल्य में 55 प्रतिशत सालाना आधार पर वृद्धि दर्ज की।"
ग्लोबलडाटा में भारत के व्यवसाय विकास प्रबंधक फ्रांसिस गेब्रियल गोडैड के अनुसार, मांग को बढ़ाने वाले जनरेशन ग्रुप संदर्भ में, युवा पीढ़ी के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की ओर आकर्षित होने की संभावना है। उपभोक्ता, विशेष रूप से कामकाजी जोड़े और माताएं, अपनी व्यस्त जीवनशैली के कारण क्विक कॉमर्स सॉल्यूशन की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार, शहरी भारत में, श्रम बल भागीदारी दर 2017-18 में 47.6 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 52.0 प्रतिशत हो गई है। माली ने कहा, "इसलिए, समय बचाने वाली सेवाओं को अपनाना एक प्रमुख कारक है जो क्विक कॉमर्स सर्विस की मांग को प्रोत्साहित कर रहा है।"