भारत की डेटा सेंटर इंडस्ट्री में 2026 तक हो सकती है 66 प्रतिशत की बढ़त
रियल एस्टेट एडवाइजरी फर्म जेएलएल इंडिया के मुताबिक, भारत की डेटा सेंटर इंडस्ट्री 2026 तक 66 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। इसकी वजह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से 5जी नेटवर्क का विस्तार होना है।
जेएलएल की रिपोर्ट में बताया गया कि देश की डेटा सेंटर इंडस्ट्री में अगले ढाई वर्षों (2024 (दूसरी छमाही)-2026) में 604 मेगावाट क्षमता जुड़ने की उम्मीद है, जिसके लिए 7.3 मिलियन वर्ग फुट स्पेस और 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।
यह इस बात को दर्शाता है कि भारत तेजी से खुद को एआई इनोवेशन और डेटा सेंटर डेवलपमेंट के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है। हाइपरस्केलर्स प्रमुख डेटा सेंटर हब में तेजी से सेल्फ-बिल्ड प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि ऑपरेटर एआई क्लस्टर का समर्थन करने के लिए 400 केवीए लाइनों द्वारा संचालित नए परिसरों को बनाने की योजना बना रहे हैं।
एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर में 1.24 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की मंजूरी सहित महत्वपूर्ण सरकारी पहलों से विकास को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
2024 की पहली छमाही (जनवरी से जून) में डेटा सेंटर इंडस्ट्री की स्थापित क्षमता बढ़कर 917 मेगावाट हो गई है। इसमें ऑक्यूपेंसी 873 मेगावाट थी। बीते साढ़े चार साल में डेटा सेंटर इंडस्ट्री 2.5 गुना बढ़ी है।
जेएलएल में एपीएसी लीड - डेटा सेंटर लीजिंग, रचित मोहन ने कहा, "नवी मुंबई, एक प्रमुख डेटा सेंटर स्थान के रूप में उभर रहा है, जिसकी संभावित मांग अगले कुछ वर्षों में 800 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है। एआई-रेडी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर और 5जी के परिवर्तनकारी प्रभाव साथ मिलकर भारत के डिजिटल इकोसिस्टम में क्रांति ला रहे हैं।"
जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री, सामंतक दास ने कहा, "हमें उम्मीद है कि मुंबई अपना बाजार नेतृत्व बनाए रखेगा, जबकि हमें चेन्नई और अन्य रीजन में तेज वृद्धि की उम्मीद है। इससे न केवल विशेष स्किल की मांग बढ़ेगी, जबकि अन्य इंडस्ट्री के लिए भी अवसर पैदा होंगे।"