Powered by: Motilal Oswal
2025-03-25 02:33:48 pm | Source: आईएएनएस
90 लाख करदाताओं ने फाइल किया अपडेटेड आईटीआर, सरकार को मिला 9,118 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व
90 लाख करदाताओं ने फाइल किया अपडेटेड आईटीआर, सरकार को मिला 9,118 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व

हाल ही में संसद को दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले चार वर्षों में 90 लाख से अधिक अपडेटेड आयकर रिटर्न दाखिल किए गए हैं, जिससे सरकार को 9,118 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ है। यह सरकार द्वारा शुरू की गई वॉलंटरी कंप्लायंस स्कीम (वीसीएस) की सफलता को दर्शाता है।

 

सरकार ने 2022 में स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करने की योजना के तहत अतिरिक्त आयकर का भुगतान करदाताओं के लिए किसी स्पेसिफिक असेसमेंट ईयर से दो साल तक अपडेटेड आईटीआर (आईटीआर-यू) फाइल करने का विकल्प पेश किया था।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि कुल मिलाकर, असेस्मेंट ईयर 2021-22 से असेसमेंट ईयर 2024-25 के बीच 9.176 मिलियन से अधिक आईटीआर-यू फाइल किए गए, जिससे सरकार को 9,118 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर प्राप्त हुआ।

वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि करंट असेसमेंट ईयर (2024-25) में 28 फरवरी तक करीब 464,000 अपडेटेड आईटीआर दाखिल किए गए हैं और 431.20 करोड़ रुपये का कर चुकाया गया है।

सरकार ने फाइनेंस बिल, 2025 के जरिए अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की समय सीमा को संबंधित असेसमेंट ईयर से चार साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। योजना की सफलता को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

असेसमेंट ईयर 2023-24 में 2.979 मिलियन से अधिक आईटीआर-यू दाखिल किए गए और 2,947 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर चुकाए गए।

असेसमेंट ईयर 2022-23 और वित्त वर्ष 2021-22 में क्रमशः 4.007 मिलियन और 1.724 मिलियन अपडेटेड आईटीआर दाखिल किए गए और अतिरिक्त 3,940 करोड़ रुपये और 1,799.76 करोड़ रुपये कर चुकाए गए।

एक दूसरे सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 'कम मूल्य वाले भीम-यूपीआई लेनदेन (व्यक्ति से व्यापारी - पी2एम) को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना' को मंजूरी दे दी है। यह कदम डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और छोटे व्यापारियों को यूपीआई अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के सरकार के लक्ष्य के अनुरूप उठाए गए हैं।

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना वित्तीय समावेशन के लिए सरकार की रणनीति का एक अभिन्न अंग है।

ग्राहकों/व्यापारियों को सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजिटल भुगतान उद्योग द्वारा किए गए व्यय को मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) के जरिए वसूला जाता है।

मर्चेंट डिस्काउंट रेट एक शुल्क है जिसे व्यापारियों और अन्य व्यवसायों को डेबिट या क्रेडिट कार्ड लेनदेन पर पेमेंट प्रोसेसिंग कंपनी को देना होगा।

वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि एमडीआर आमतौर पर लेनदेन राशि के प्रतिशत के रूप में आता है।

आरबीआई के अनुसार, डेबिट कार्ड के लिए सभी कार्ड नेटवर्क पर लेनदेन मूल्य का 0.90 प्रतिशत तक का एमडीआर लागू है।

एनपीसीआई के अनुसार, यूपीआई पी2एम (पर्सन टू मर्चेंट) लेनदेन के लिए 0.30 प्रतिशत तक का एमडीआर लागू है।

उन्होंने आगे कहा कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2020 से रुपे डेबिट कार्ड और भीम-यूपीआई लेनदेन के लिए एमडीआर शून्य कर दिया गया है।

Disclaimer: The content of this article is for informational purposes only and should not be considered financial or investment advice. Investments in financial markets are subject to market risks, and past performance is not indicative of future results. Readers are strongly advised to consult a licensed financial expert or advisor for tailored advice before making any investment decisions. The data and information presented in this article may not be accurate, comprehensive, or up-to-date. Readers should not rely solely on the content of this article for any current or future financial references. To Read Complete Disclaimer Click Here

Top News

News Not Found

Tag News

News Not Found

More News

News Not Found