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2025-06-03 04:20:21 pm | Source: आईएएनएस
25 वर्ष या उससे कम आयु वर्ग के युवा भारतीय 45 से 55 की उम्र में होना चाहते हैं रिटायर
25 वर्ष या उससे कम आयु वर्ग के युवा भारतीय 45 से 55 की उम्र में होना चाहते हैं रिटायर

युवा भारतीय, खासकर 25 वर्ष या उससे कम आयु वर्ग के लोग जल्दी रिटायरमेंट लेना पसंद करते हैं। इस ग्रुप में से 43 प्रतिशत युवा 45 से 55 वर्ष की आयु के बीच रिटायर होना चाहते हैं। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक नई रिपोर्ट में दी गई।
 

56 प्रतिशत पार्टिसिपेंट्स ने 55 से 65 वर्ष की आयु के बीच रिटायर होने की योजना बनाई है, जो भारत में स्टैंटडर्ड रिटायरमेंट प्रैक्टिस के अनुरूप है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत की सर्वे-रिपोर्ट में कहा गया है कि 55 प्रतिशत पार्टिसिपेंट्स को 1 लाख रुपए से अधिक मासिक पेंशन की उम्मीद है। हालांकि, केवल 11 प्रतिशत का मानना ​​है कि उनके मौजूदा निवेश इन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार समर्थित योजनाएं सबसे पसंदीदा विकल्प बनी हुई हैं, जिसमें 39 प्रतिशत पार्टिसिपेंट्स ऐसी योजनाओं के पक्ष में हैं।

युवा पार्टिसिपेंट्स को हाई-रिस्क, हाई-रिटर्न प्लान पसंद आते हैं। 25 वर्ष से कम उम्र के 31 प्रतिशत पार्टिसिपेंट्स ने इस तरह के विकल्पों में रुचि व्यक्त की है। यह निष्कर्ष युवा जनसांख्यिकी के बीच रिस्क लेने की बढ़ती महत्वकांक्षा को दिखाता है।

सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) से बदल दिया है। यूपीएस सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत आजीवन मासिक पेंशन के रूप में, समय-समय पर महंगाई राहत वृद्धि और 10,000 रुपए की न्यूनतम पेंशन की गारंटी देता है।

सरकार ने एनपीएस वात्सल्य योजना भी शुरू की है, जिसका उद्देश्य पेंशन खाते के माध्यम से बच्चों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करना है।

यह योजना नाबालिगों को सदस्यता लेने की अनुमति देती है, जिसमें योगदान की शुरुआत सालाना आधार पर 1,000 रुपए से होती है। इसमें आसान पंजीकरण के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की सुविधा उपलब्ध है और यह एनआरआई के लिए भी उपलब्ध है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर और फाइनेंशियल सर्विसेज रिस्क लीडर विवेक अय्यर ने कहा, "जैसे-जैसे हमारी कामकाजी आबादी बढ़ रही है, अपेक्षित रिटायरमेंट जरूरतों और वास्तविक बचत व्यवहार के बीच का अंतर तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है। इस अंतर को पाटने के लिए एक मजबूत और समावेशी पेंशन इकोसिस्टम की आवश्यकता है, जो पूंजी निर्माण और वित्तीय स्थिरता जैसे व्यापक आर्थिक उद्देश्यों का समर्थन करते हुए व्यक्तियों के लाइफसाइकल जरूरतों से जुड़ा हो।"

कई लोगों को यह भी लगता है कि उनकी ग्रेच्युटी राशि अपर्याप्त है, और एन्युटी निवेश की कम दर गारंटीड पोस्ट रिटायरमेंट इनकम को लेकर अनिश्चितता को बढ़ाती है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर रामकुमार एस ने कहा, "भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, इसलिए देश में एक दृढ़ पेंशन प्रणाली होना आवश्यक है। 2050 तक वृद्ध आबादी में वृद्धि होगी और यह आबादी वित्तीय स्वतंत्रता के लिए पेंशन पर निर्भर होगाी।"
 

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