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2025-05-11 01:59:05 pm | Source: आईएएनएस
भारत का जीरो एमिशन ट्रकिंग पर जोर, प्राथमिकता वाले गलियारों को लेकर जारी की
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भारत का जीरो एमिशन ट्रकिंग पर जोर, प्राथमिकता वाले गलियारों को लेकर जारी की

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने शून्य-उत्सर्जन ट्रकिंग के लिए भारत के प्राथमिकता वाले गलियारों पर एक रिपोर्ट जारी की है।

 

पीएसए कार्यालय की इस रिपोर्ट में देश भर के 10 महत्वपूर्ण राजमार्ग खंडों की रूपरेखा दी गई है, जो शून्य-उत्सर्जन ट्रकों (जेडईटी) को अपनाने की सबसे अधिक संभावना पेश करते हैं, जिसका उद्देश्य क्लीन, अधिक सस्टेनेबल माल ढुलाई की दिशा में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परिवर्तन लाना है।

पीएसए के कार्यालय ने कहा, "भारत रणनीतिक रूप से इन गलियारों को लक्षित कर, प्रतिस्पर्धात्मकता और मजबूती बढ़ाते हुए शून्य-उत्सर्जन माल ढुलाई क्षेत्र में अपने परिवर्तन को तेज कर सकता है।"

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर जीरो एमिशन ट्रकिंग (सीओईजेडईटी) आईआईटी मद्रास, रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट और नॉलेज पार्टनर्स के सहयोग से विकसित की गई इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय राजधानी में प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने जारी किया।

रिपोर्ट में दी गई जानकारी से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और रेगुलेटरी सपोर्ट मैकेनिज्म में भविष्य के निवेश का मार्गदर्शन मिलने की उम्मीद है।

भारत में शून्य-उत्सर्जन ट्रकिंग (जेडईटी) के लिए टॉप 10 गलियारों की पहचान तीन चरण की प्रक्रिया के माध्यम से की गई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में ईंधन की खपत और परिवहन उत्सर्जन का लगभग 40 प्रतिशत लंबी दूरी के ट्रकों से उत्पन्न होता है।

परिणामस्वरूप, जेडईटी को अपनाना लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को डीकार्बोनाइज करने, वायु प्रदूषण को कम करने और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।

रिपोर्ट में टॉप 10 उच्च-प्रभाव वाले गलियारों की पहचान की गई है, जो शुरुआती जेडईटी डेप्लोयमेंट के लिए सबसे उपयुक्त हैं, जो एक डेडिकेटेड नेशनल जेडईटी इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क के लिए आधार तैयार करते हैं।

रिपोर्ट के तहत महत्वपूर्ण विश्लेषण न केवल इस बदलाव को और बढ़ावा देगा बल्कि नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के लोगों के लिए तीन-भाग वाले गलियारे की पहचान प्रक्रिया में व्यापक अंतर्दृष्टि के साथ एक रणनीतिक मार्गदर्शक के रूप में भी काम करेगा।

यह रिपोर्ट जेडईटी समाधानों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा 500 रुपए की कुल लागत पर 2024 में शुरू की गई पीएम ई-ड्राइव योजना के लिए एक संदर्भ के रूप में भी काम कर सकती है।
 

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